एक दूसरे का मन
“एक-दूसरे का मन”
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एक बूँद
मेरी आँखों से
छलक कर
मेरे गालों पर लढ़क कर आया है
इसका मतलब
तुमसे मेरा प्रेम मत समझना
यह केवल मात्र
तुम्हारा भम्र होगा
यह मेरे मन की कोई पीडा़ है
जो तुम्हारे द्वारा मुझे मिली है
बिना अपराध के ही
जैसे पुष्प को पाने की चेष्टा में
पुष्प की छुअन में
काँटे चुँभ जाते है अँगुलियों को
और पीडा़ मिलती है
वैसे ही तुमने मेरे मन को आघात पहुँचाया है
बिना अपराध के ही
कोई कली
अपने पराग छुपाए रखती है
पंखुडि़यों के भीतर
मैं चाहती हूँ
मैं भी तुमसे शिकायत न कर
अपनी इस पीडा़ को छुपा लूँ
मन के भीतर ही भीतर
जहाँ तुम्हें इस बात का
पता भी न चल पाए
कि मेरे मन में कोई पीड़ा है
लेकिन यह तो प्रेम है न
जहाँ शब्द और भाषा की भी
जरूरत नहीं होती है
बस पढ़ लिया जाता है
एक-दूसरे का मन
और तुम भी पढ़ लोगे
मेरा मन
चाहें मैं कहीं भी
अपनी पीडा़ को छुपाकर रख लूँ~तुलसी पिल्लई
29-11-2018