एक दिन वो मेरा हो जाएगा
वो नज़रे चुराते हैं मगर नज़रे मिलाते नहीं
सामने से तो गुजरते हैं कई बार मगर कभी मुस्कुराते नहीं।
सालों से उसी घड़ी उसी गली से गुजरते हैं।
मगर ना हम ना वो बात आगे बढ़ाते नहीं।
हम हर शाम बहाने से
पहले ही उनके आने से एक कोने तैयार रहते हैं।
उनको आते देखकर दूसरे किनारे से
हम अपने कदम आगे रखते हैं।
ना जाने क्या नशा है उनके दीदार में जो छूटता नहीं।
कुछ न पाकर भी यह दिल उनसे रूठता नहीं।
एक दिन ना देखा उसे दिल बेचैन हो गया।
घर आकर मैं वापस बिन कुछ खाएं सो गया।
जब तक ना देखा उसे दिल बहुत बेचैन रहा।
मेरे दिल के दर्द की वो बन गए हैं एक दवा
क्या उन्हें भी मुझसे प्यार है या यह सब बेकार है।
क्या यह मेरा वहम हैं या उसे भी मेरा इंतजार है।
सालों साल बीत गए
लब्जो से बात बढ़ी नहीं
दिल की पतंग तो है मगर
आसमान में अब तक चढ़ी नहीं।
न जाने कभी ये किनारे मिलेंगे
ना जाने कब हम दिल की बात कहेंगे
ना जाने कब उनके घर बारात लेकर आऊंगा
ना जाने कब वह मेरे और मैं उनका हो जाऊंगा।
मगर लगता है एक दिन बात आगे जरुर बढ़ेगी।
जुबान से ना हो भले, वो भी हमसे नजरों से बात करेगी।
कभी तो इस खामोशी में शोर आएगा
एक दिन तो वो मेरा बस मेरा हो जाएगा
“एकांत”