एक दिन राधिका ने कहा श्याम से
एक दिन राधिका ने कहा श्याम से
छोड़ कैसे गए इतने आराम से
दिन के सूरज में तकती हूँ चेहरा तेरा
फूल यादों के खिल जाते हैं शाम से
थाम कर हाथ मधुवन में बोले थे तुम
ना हटाओगे मुझको कभी बाम से
प्यार सच्चा रहेगा कयामत तलक
जाओगी न कभी मन के इस धाम से
कंस भी मर गया राज्य भी मिल गया
बोलो मथुरा में बैठे हो किस काम से
प्यार सच्चा था तो फिर बताओ मुझे
जानकी क्यों जुदा हो गयी राम से
ना करो ब्याह दुनिया को समझा दो पर
क्यों मोहब्बत शराबी को है जाम से
चाह कर भी न तुम दूर जा पाओगे
नाम मेरा यूँ जुड़ जाएगा नाम से