“एक था कर्पूरी”
आज जब करोड़ों रुपये के घोटाले आए दिन नेताओं के नाम पर अखबार की सुर्खियों में छाए रहते हैं तो विश्वास नहीं होता कि भारत भूमि में कर्पूरी ठाकुर जैसे महान आदर्शवादी, ईमानदार और जुझारू नेता भी हुए हैं। उनकी ईमानदारी के कई किस्से आज भी बिहार में सुनने को मिल जाते हैं।
राजनीति का एक लम्बा सफर बिताने के बाद जब फरवरी 1988 में उनका देहावसान हुआ तो अपने परिवार को विरासत में देने के लिए एक मकान तक उनके नाम पर नहीं था और ना ही कहीं इंच भर जमीन।
सच में ऐसे कोहिनूर कभी मरा नहीं करते। वे काल को जीत लेते हैं। भारत के इस महान स्वतंत्रता सेनानी, जागरूक शिक्षक, कुशल राजनीतिज्ञ और जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को शत शत नमन्…।
-डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य और लेखन के क्षेत्र में
लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड प्राप्त।
( ग्राम्य-पथ : कहानी-संग्रह से…)