एक तमन्ना
एक तमन्ना
दो रोज का कहके तुम क्या गए
मानो वक़्त ही जैसे ठहर गया हो
वो दिन भर बातें और वो यादें
रह रह कर मुझे याद आती हैं।
जब से तुम हो आन बसे
मेरे सुनें जीवन में प्रिये
रात और दिन का होश नहीं
मदहोश सा हरदम रहता हूँ।
दीवाना कह लो पागल कह लो
कह लो जो भी चाहे मुझको
प्यार में तेरे पागल हूं मैं
यह बात मेरे दिल की सुन लो।
आ जाओ तुम अब जीवन में
रहना तुम बिन दुश्वार हुआ
ना कोई आरजू बाकी है
बस इस एक तमन्ना के सिवा।
बस इस एक तमन्ना के सिवा।
संजय श्रीवास्तव
बालाघाट ( मध्यप्रदेश)