एक चाहत थी उसको अपना बनाने कि….
एक चाहत थी उसको अपना बनाने कि
एक गुज़ारिश थी उससे जिन्दगी मे साथ निभाने कि
तनहा कर गई बेवफा अकेला छोड़ कर
क्या जरूरत थी उससे हमे अपना बनाने कि
एक चाहत थी उसकोअपना बनाने कि
सपने में ही मिलती थी उसकी एक झलक
फिर क्या जरूरत थी उससे हमे सपना बनाने की
बहुत सुंदर थी एक मुस्कराट उसकी
क्या जरूरत थी उनको बेवफाई करके बम गिरने की
एक चाहत थी उसको अपना बनाने की
उससे मिलना बहुत हसीन लगता था
बातो को सिलसिला कुछ नमकीन लगता था
बहुत मासूम सी दिखती थी उसकी आदाए
क्या जरूरत थी यू हमको धोखा देकर छोड़ जाने की
एक चाहत थी………उसको……….बनाने कि ।