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15 May 2024 · 1 min read

एक अधूरी चाह

जमीं उसको मिली,जिसे अंबर की आस थी।
समुंद्र उनको मिला,जिसे बूंदों की तलाश थी।
हमारे हिस्से में तो सिर्फ एक अनुभव आया।
जिसे खुद ही अपने मुकाम की प्यास थी।
तेरे रहते रहते पा लेना चाहता था तुम्हें।
पर तुम्हारे वजूद की शख्सियत ही खास थी।
हमे ये मलाल नहीं कि तुम्हे पा ना सके।
दीदार तो किया पर तुम्हे चाह न सके।
इसे वक्त का तगाजा कहूं या किस्मत की मार।
दर पर पहुंचकर भी लौटे तुम्हारे बगैर।
वो मिले तो उससे कहना एक जरूरी बात।
हर सुनहरे दिन के पीछे,छिपी है एक रात।
तुममे ताकत हैं तो मेरे होसलो में भी उड़ान है।
लडूंगा तब तक,जब तक इस शरीर में जान है।

Language: Hindi
101 Views

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