एक अच्छा कवि
एक अच्छा कवि
एक अच्छा लेखक हर बार रोता है
यू ही रोता है….रोता रहता है ……..
पर दुनिया क्यो माने उसकी बात ….
सरोकार नही….
मरने के बाद हर कोई अपनाता है …
पर एक अच्छा कवि हर बार रोता है…
यू ही रोता है….रोता रहता होता है…..
सच तो आज कटपुतली का जुआ है…
बहुमत का खेल …यही तो आज दुआ है …
पर सच कहता हूं
एक अच्छा कवि हर बार रोता है
यू ही रोता है …रोता रहता है…
मै मानवता का वंशज …रोउगा ….
पर दुनिया को रुला जाउगा ….
एक अच्छा कवि हर बार रोता है…
यू ही रोता है ….रोता रहता है…
खुब रुलाया कबीर निराला को…
पर वो कहाँ रोने वाले थे….
हिम्मत और तपस्या से …
वो निकले प्रचण्ड ज्वाला थे….
पर सच है एक अच्छा कवि हर बार रोता है
….यू ही रोता है….रोता रहता है……..
{ सद्कवि }
प्रेम दास वसु सुरेखा