एक अखबार।
तेरी तस्वीर है नहीं, मैं क्या देखूं,
तेरी खबर ही नहीं, मैं क्या पढू,
मेरी मतलब से परे बेकार की खबर लाया है,
ये अखबार आज फिर से यूही आया है,
तेरे बिन ये दुनियां विरानी लगती है,
खबरें होते हुए भी अखबार बेगानी लगती है,
हर वक्त खयाल करता हूं तेरा पढ़ते हुए,
पता नहीं तेरे मेरे बीच क्या कहानी लगती है,
उम्मीद से हर रोज ये अखबार लता हूं,
कभी तो तेरा ज़िक्र हो इसमें,
खबर में ही सही तू बसी हो इसमें,
नहीं मिलती तू तो दिल बैठ जाता है,
दिमाग फिर दिल को ये समझता है,
वो कल अब दूर नहीं,बस कुछ पल की दूरी है,
वो कल जल्दी ही आएगा,
कल फिर अखबार आएगा। By:- SHOBHIT RANJAN