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27 Feb 2022 · 1 min read

एकाधिकार हुआ

सपनों में तो जाने कितनी बार हुआ।
घण्टो घण्टों तेरा मेरा प्यार हुआ।।

जो भी तुम करते जाते थे फरमाइश।
सच कहती हूँ सब तेरे अनुसार हुआ।

बिंदिया झुमके चूड़ी मेंहदी और पायल।
साजन तेरे नाम पे सब श्रंगार हुआ।।

एक नहीं दो देह थे ये भी तब जाना।
सीने में जब साँसों का संचार हुआ।।

सूर्य चंद्रमा और गगन के तारो में।
इस जमीं के जर्रे जर्रे पर दीदार हुआ।।

आता नहीं ख़यालों तक में अब दूजा।
‘ज्योति’ के दिल पर जब तेरा अधिकार हुआ।।

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