Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Oct 2020 · 2 min read

एकल परिवार का दंश

एकल परिवार का दंश
******************
बुजुर्ग दम्पति का संवाद
——————————
पति-लखन की माँ !अब इस उमर में हमसे तो कुछ होने वाला नहीं है।क्यों न हम वृद्धा आश्रम में ही चलें।
पत्नी-लखन के बापू बात तो ठीक है।मगर अपना घर छोड़कर क्या अच्छा लगेगा?
पति-अब अच्छा खराब देखोगी या सूकून से मरना चाहोगी?
पत्नी-आखिर बेटा क्या सोचेगा?
पति-जो भी सोचना है सोचे,मगर अब इस तरह रह पाना मुश्किल है।अभी ज्यादा समय भी कहाँ बीता?जब तुम मरते मरते बच गई।वो तो भला हो पड़ोसियों का।जिन्होंने इतना ध्यान रखा और एक बेटा है हमारा, जिसे फुरसत नहीं है।
पत्नी -बात तो सही है।अब हम कल ही वृद्धाश्रम चलेंगे, अपनी सारी सम्पत्ति भी उसी वृद्धाश्रम को दान कर देंगे।
पति-मैं भी यही सोच रहा था।आखिर जब बेटा ही किसी काम का नहीं हैं,तो कैसी सम्पत्ति?समझ में नहीं आ रहा आजकल का एकल परिवार का फैशन समाज को कहाँ ले जायेगा?
छोटे छोटे बच्चे भी बड़ो की इज्ज़त नहीं करते।वो हमारा छोटू है,वो भी बाबा दादी के पाँव तक नहीं छूना चाहता।पास नहीं आता।मन में कसक सी होती है।
पत्नी-अब दुखड़ा न गाओ,हमारे सास ससुर ने हमें कितना सहारा दिया।मैं तो अपने माँ बाप को ही भूल गई।हमारा बेटा भूख लगने पर ही माँ को याद करता था।दादी बाबा का दुलारा जो था।
पति-अब रहने भी दो।दर्द न बढ़ाओ।उस जमाने की बात और थी।नया जमाना तो माँ बाप को लावारिस की ही मौत देगा।इसी एकल परिवार के कारण अब सगे संबंधी भी बिखर रहे हैं।बेटे को ससुराल और बहू को मायके के अलावा किसी की फिक्र नहीं रही।
पत्नी-आप भी बेकार की बात लेकर बैठ गये।जब हमारी फिक्र नहीं,तो फिर कौन रिश्तेदार, संबंधी।सब खत्म।बस बिना कुछ सोच विचार के कल की तैयारी करो।
पति-हाँ लखन की माँ।अब यही ठीक है।
पति पत्नी नये विश्वास के साथ उठे और अपनी तैयारियों में लग गये।
■ सुधीर श्रीवास्तव

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 2 Comments · 216 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
★मां ★
★मां ★
★ IPS KAMAL THAKUR ★
The World at a Crossroad: Navigating the Shadows of Violence and Contemplated World War
The World at a Crossroad: Navigating the Shadows of Violence and Contemplated World War
Shyam Sundar Subramanian
हे गुरुवर तुम सन्मति मेरी,
हे गुरुवर तुम सन्मति मेरी,
Kailash singh
■ कटाक्ष...
■ कटाक्ष...
*Author प्रणय प्रभात*
रहे हरदम यही मंजर
रहे हरदम यही मंजर
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
सच ज़िंदगी और जीवन में अंतर हैं
सच ज़िंदगी और जीवन में अंतर हैं
Neeraj Agarwal
आऊँगा कैसे मैं द्वार तुम्हारे
आऊँगा कैसे मैं द्वार तुम्हारे
gurudeenverma198
ध्यान
ध्यान
Monika Verma
प्रतीक्षा
प्रतीक्षा
Shaily
पिता
पिता
Dr Parveen Thakur
मित्रता दिवस पर विशेष
मित्रता दिवस पर विशेष
बिमल तिवारी “आत्मबोध”
बट विपट पीपल की छांव 🐒🦒🐿️🦫
बट विपट पीपल की छांव 🐒🦒🐿️🦫
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
राम बनना कठिन है
राम बनना कठिन है
Satish Srijan
क्रांतिवीर नारायण सिंह
क्रांतिवीर नारायण सिंह
Dr. Pradeep Kumar Sharma
*धन्य करें इस जीवन को हम, चलें अयोध्या धाम (गीत)*
*धन्य करें इस जीवन को हम, चलें अयोध्या धाम (गीत)*
Ravi Prakash
ପରିଚୟ ଦାତା
ପରିଚୟ ଦାତା
Bidyadhar Mantry
जिन्दगी जीना बहुत ही आसान है...
जिन्दगी जीना बहुत ही आसान है...
Abhijeet
मैं तो महज संसार हूँ
मैं तो महज संसार हूँ
VINOD CHAUHAN
Teri gunehgar hu mai ,
Teri gunehgar hu mai ,
Sakshi Tripathi
*अविश्वसनीय*
*अविश्वसनीय*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
"कैसे व्याख्या करूँ?"
Dr. Kishan tandon kranti
विभेद दें।
विभेद दें।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
विधाता छंद (28 मात्रा ) मापनी युक्त मात्रिक
विधाता छंद (28 मात्रा ) मापनी युक्त मात्रिक
Subhash Singhai
2464.पूर्णिका
2464.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
विडंबना इस युग की ऐसी, मानवता यहां लज्जित है।
विडंबना इस युग की ऐसी, मानवता यहां लज्जित है।
Manisha Manjari
FUSION
FUSION
पूर्वार्थ
जुल्मतों के दौर में
जुल्मतों के दौर में
Shekhar Chandra Mitra
बस यूँ ही...
बस यूँ ही...
Neelam Sharma
मंगलमय हो नववर्ष सखे आ रहे अवध में रघुराई।
मंगलमय हो नववर्ष सखे आ रहे अवध में रघुराई।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
सूरज नहीं थकता है
सूरज नहीं थकता है
Ghanshyam Poddar
Loading...