ऊहापोह
सब कुछ ठीक-ठाक है ,
रैलियां करो ,चुनाव कराओ,
लोगों को इकट्ठा कर भाषण दो ,
रास्ता रोककर बैठो आंदोलन करो ,
जनसंपर्क करो ,काफिले संग रोड शो करो,
सब कुछ जायज है ,क्योंकि वोट का प्रश्न है ,
सब तरफ कुत्सित राजनीति का मुखर जश्न है ,
राजनेताओं को देखते ही कोरोना भाग जाता है ,
दूर-दूर तक इकट्ठी भीड़ मे संक्रमण नजर नहीं आता है ,
आम आदमी के लिए लॉकडाउन घोषित है ,
जो पालन न करें वही दोषी सिद्ध संक्रमित है ,
आम आदमी मास्क न पहनने पर सरेआम पीटा जाता है ,
रसूखदार खुलेआम मास्क ना पहने फिर भी चलता है ,
लगता है कोरोना भी आम आदमी को अच्छी तरह जानता है ,
तभी वह रसूखदार को छोड़कर आम आदमी के पीछे हाथ धोकर पड़ता है ,
सुना है कोरोना का तोड़ वैक्सीन आ गई है ,
जो बड़े पैमाने पर लोगों को लगाई जा रही है ,
फिर भी प्रभावशीलता की ऊहापोह स्थिति कब तक
बनी रहेगी ,
पता नहीं कब तक आम जनता इस अदृश्य संकट को
भोगती रहेगी ,