ऊपरी इनकम पर आनलाईन के दुष्प्रभाव(व्यंग )
देश के केन्द्रीय, सभी राज्य सरकारों के शासकीय अर्धशासकीय, स्थानीय निकायों, पुलिस के अधिकारी कर्मचारियों का राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया।
सम्मेलन का मुख्य विषय था “ऊपरी इनकम पर आनलाईन के दुष्प्रभाव”
सम्मेलन में ऊपरी इनकम के प्रसिद्ध जाने माने महान दूर दृष्टाओं के प्रतिनिधि मौजूद थे।गिद्धराज जी ने पारंपरिक खादी धारण की हुई थी,कागराज जी भी सफेद कुर्ता में जम रहे थे, भेड़िये और कुत्तों के प्रतिनिधि भी अपनी घ़ाण शक्ति एवं चालाक चौकन्नी नजरें गड़ाए कान खड़े और पूंछ दबाए इधर उधर दौड़ रहे थे।उल्लू जी और लौमडी अपनी बात रखने का इंतजार कर रहे थे। सभी ने एक स्वर में आनलाइन सुविधा के कारण घटती हुई आय पर गंभीर चिंता जताई।
कई प्रतिनिधियों ने एक स्वर में कहा, एक एक कर ऐसे हमारी कमाई घटती गई तो हमारा अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। हमारा जीवन धरती पर समाप्त हो जाएगा,लोग हमें डायनासोर की तरह किताब में पढ़ेंगे।
अतिरिक्त आय के ख्यातनाम अंतरराष्ट्रीय संत श्री श्री बगुला जी महाराज जिनके अचूक बार और नज़रों से आम मछली का बचना मुश्किल है एवं श्री बाज जी जिनके सटीक प्रहार से आम चिड़ियों का उड़ना कठिन है ने ,सभी को ध्यान से सुन कर अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि, चिंता जैसी कोई बात नहीं है, हमारी जाति का युगों से अस्तित्व है, हमें कोई समाप्त नहीं कर सकता, हां हमने नए नए तरीके इजाद करने विशेषज्ञ टीम बना दी है जो अति शीघ्र अपनी रिपोर्ट सौंप देगी, एक टीप सतत शोध कार्य में लगी रहेगी जो नवाचार को बढ़ावा देगी आपदा में अवसर तलाश करेगी, फाइव जी के जरिए आपको सतत सूचना मिलती रहेगी ।
नियम कानून कायदों के हर छेद में कौए और भेड़ियों को तैनात कर दिया गया है, कुत्ते सूंघ कर सारी जानकारी जुटाते रहेंगे।
अतिशीघ्र आपकी आय फिर बढ़ेगी, सहस्र फणी टोपी बदलने बाले नागराज जी कई दिनों से भूखे हैं,सब एकजुट हो रहे हैं और उनका आना निश्चित है।
हम सबको उनके साथ आसानी हो जायेगी।
हां और अंतिम बात आपसे यही कहना है कि धरती से हमारा अस्तित्व समाप्त कभी नहीं नहीं हो सकता, सरकार की जिम्मेदारी है जैवविविधता बचाए रखना है।हाल ही में जैंसा कि आप सभी को विदित ही है कि चीतों को बचाये रखने के लिए भारी भरकम राशि खर्च कर विदेश से लाया गया है, फिर हम तो इंसान की विशेष कैटीगिरी में आते हैं और खास बात ये है हम लोगों में जाति पाति धर्म संप्रदाय भाषा क्षेत्र का कोई विवाद नहीं है, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हम मिशाल हैं। जन प्रतिनिधियों को सबसे अधिक हमारी आवश्यकता है, हमारे विना उनकी कमाई भी शून्य हो जाएगी, इसलिए सभी वेफिकर हो अपने अपने काम में मुस्तैद रहो।
सारा सम्मेलन स्थल तालियों से गूंज उठा,जिसकी सारी दुनिया में भूरि भूरि प्रशंसा हुई,देश एवं विदेश से बधाई शुभकामनाएं का तांता लगा रहा।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी