ऊंचों का सा नाम
ऊँचो का सा नाम
आज हरामि बनना यारों ऊँचो का सा नाम है
पहले झूठी मूठी फेंको फिर अपना ही राग है
राम नाम का नाम है लेकर ये कुकर्मी चाल है
कुकर की सी उसकी आदत उसका ये खुम्मार है **
आज हरामि बनना यारों
ऊँचो का सा नाम है…….
सब को समझाने आज है बैठे आज महान संतान है
पहले गू का सीएम बनना आज भा का वार वधु है
बात-बात बेतोल के कहता ये महा लुंगी सी बात है
पाँच साल फिर दे दिए अब कुत्तो जैसा महा यार है
नहीं मिलेगी फिर वो सत्ता अब तो लून्टो की सरकार है
आज हरामि बनना यारों
ऊँचो का सा नाम है …….
किसको समझाएं क्यों समझाएं अपाक राम जबान है
बोलना इतना सीख गया वो अब क्यो बेजुबान है
भाई को भाई ही मारे क्यो बात फेकू बदजुबान है
अब वो महा शैतान सा असत्य भारत भाग्य विधाता है
कब तक यो सोते रहेगे एक दिन चिंगारी फूटनी है
ओ मानवता के दुश्मन तेरी राख भी ना बिकने वाली है**
आज हरामि बनना यारों
ऊँचो का सा नाम है……
सद्कवि
प्रेमदास वसु सुरेखा