Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Nov 2024 · 1 min read

उस रात …….

उस रात …….

उस रात
वो बल्ब की पीली रोशनी
देर तक काँपती रही
जब तुम मेरी आँखों के दामन में
मेरे ख्वाबों को रेज़ा-रेज़ा करके
चले गए
और मैं बतियाती रही
तन्हा पीली रोशनी से
देर तक

उस रात
मुझसे मिलने फिर मेरी तन्हाई आई थी
मेरी आरज़ू की हर सलवट पर
तेरी बेवफाई मुस्कुराई थी
और मैं
अन्धेरी परतों में
बीते लम्हों को बीनती रही
देर तक

उस रात
तुम उल्फ़त के दीवान का
पहला अहसास बन कर आए
मेरी हर नफस में समाये
दूरियाँ सिमटती गईं
हया
बेहया हुई
जाने कब टूट गया
वो तिलस्म बांहों का
और मैं
मिटाती रही बदन से
तुम्हारी बेहयायी के निशान
देर तक

सुशील सरना

10 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

2898.*पूर्णिका*
2898.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
नव पलाश
नव पलाश
कार्तिक नितिन शर्मा
मंजिल यू‌ँ ही नहीं मिल जाती,
मंजिल यू‌ँ ही नहीं मिल जाती,
Yogendra Chaturwedi
नवसंकल्प
नवसंकल्प
Shyam Sundar Subramanian
अच्छा सुनो ना
अच्छा सुनो ना
Jyoti Roshni
#ਸੱਚ ਕੱਚ ਵਰਗਾ
#ਸੱਚ ਕੱਚ ਵਰਗਾ
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
"हार व जीत तो वीरों के भाग्य में होती है लेकिन हार के भय से
डॉ कुलदीपसिंह सिसोदिया कुंदन
गोवर्धन पूजा
गोवर्धन पूजा
Ram Krishan Rastogi
25)”हिन्दी भाषा”
25)”हिन्दी भाषा”
Sapna Arora
खौफ रहजन का रखे हो,.....
खौफ रहजन का रखे हो,.....
sushil yadav
इक मेरे रहने से क्या होता है
इक मेरे रहने से क्या होता है
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
व्यक्ति की सबसे बड़ी भक्ति और शक्ति यही होनी चाहिए कि वह खुद
व्यक्ति की सबसे बड़ी भक्ति और शक्ति यही होनी चाहिए कि वह खुद
Rj Anand Prajapati
आजकल के लोग स्नेह, सौहार्द्र व सद्भाव के बजाय केवल स्वार्थ क
आजकल के लोग स्नेह, सौहार्द्र व सद्भाव के बजाय केवल स्वार्थ क
*प्रणय*
*बहुत जरूरी बूढ़ेपन में, प्रियतम साथ तुम्हारा (गीत)*
*बहुत जरूरी बूढ़ेपन में, प्रियतम साथ तुम्हारा (गीत)*
Ravi Prakash
नारी का सम्मान 🙏
नारी का सम्मान 🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
तुम्हें निभाना नहीं आया
तुम्हें निभाना नहीं आया
हिमांशु Kulshrestha
गुरूजी गौरव का है नाम...
गुरूजी गौरव का है नाम...
TAMANNA BILASPURI
*होरी के रंग*
*होरी के रंग*
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
ढूँढ़   रहे   शमशान  यहाँ,   मृतदेह    पड़ा    भरपूर  मुरारी
ढूँढ़ रहे शमशान यहाँ, मृतदेह पड़ा भरपूर मुरारी
संजीव शुक्ल 'सचिन'
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Shally Vij
काव्य की आत्मा और रागात्मकता +रमेशराज
काव्य की आत्मा और रागात्मकता +रमेशराज
कवि रमेशराज
वक्त सबको मिलता है अपना जीवन बदलने के लिए
वक्त सबको मिलता है अपना जीवन बदलने के लिए
पूर्वार्थ
* छलक रहा घट *
* छलक रहा घट *
surenderpal vaidya
फिर से लौटना चाहता हूं उसी दौर में,
फिर से लौटना चाहता हूं उसी दौर में,
Ranjeet kumar patre
पति मेरा मेरी जिंदगी का हमसफ़र है
पति मेरा मेरी जिंदगी का हमसफ़र है
VINOD CHAUHAN
महामहिम राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू जी
महामहिम राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू जी
Seema gupta,Alwar
मै अकेला न था राह था साथ मे
मै अकेला न था राह था साथ मे
Vindhya Prakash Mishra
*शीतल शोभन है नदिया की धारा*
*शीतल शोभन है नदिया की धारा*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
خود کو وہ پائے
خود کو وہ پائے
Dr fauzia Naseem shad
"वक्त की बेड़ियों में कुछ उलझ से गए हैं हम, बेड़ियाँ रिश्तों
Sakshi Singh
Loading...