– उस पर लिखते ही गहलोत की कलम भी आंसू बहा रही –
– उस पर लिखते ही गहलोत की कलम भी आंसू बहा रही –
वो ख्वाबों में आ रही,
नींदे रातों की वो उड़ा रही,
हो जाए कभी उससे दुबारा मिलन वो आस मन में जगा रही,
मुश्किल है उसका मिलना,
नामुमकिन है उसके जैसा भी मिलना,
उसकी कमी को तन्हाई खला रही,
दिल में दर्द उसकी याद बढ़ा रही,
मोहब्बत उसके जैसी न कोई करेगा,
ख्याल मेरा उसके जैसा कोई न रखेगा,
यह सोचकर मन मेरा रुहासी है जा रहा,
वो ख्वाबों ख्यालों में आ रही व जा रही,
उस पर लिखते ही गहलोत की कलम भी आंसू बहा रही,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान
संपर्क -7742016184