उस चिंगारी को , दिल में धधकने दो
उस चिंगारी को , दिल में धधकने दो
उस चिंगारी को , दिल में धधकने दो
जो रूढ़िवादी विचारों प्र, कुठाराघात कर सके
उन सद्विचारों को दिल में पलने दो
जो कुंठित विचारों से पोषित , चरित्रों का विनाश कर सके
उन गलियारों में , अँधेरा पसर जाने दो
जो सुसंस्कृत समाज की स्थापना में , बाधा बने
वर्तमान स्त्री नजरिये को बदल जाने दो
जो उसे यातनाओं के दलदल से निजात दिला सके
मिथक और सच्चाई का भेद खुल जाने दो
जो आँखों पे पड़ी अंधविश्वास की पट्टी को उतार कर फेंक सके
अपने सपनों को आसमां की उंचाई तक जाने दो
जो तुम्हें , तुम्हारे सपनों को पूरा करने हेतु प्रेरित कर सके
दो चार सुनामी और आने दो
जो हमें पर्यावरण की सुरक्षा के प्रति , प्रतिबद्ध कर सके
धर्म पर पड़ी, अधर्म की पट्टी को उतर जाने दो
जो मनुष्य को स्वयं के कल्याण हित, प्रयास को विवश कर सके
भोग और आत्म कल्याण का भेद खुल जाने दो
जो मानव को उसके स्वयं के, उद्धार हेतु दिशा दे सके
धैर्य का बाँध टूट जाने दो
जो हमें हमारी पेशानियों से मुक्त कर नवजीवन दे सके
दुर्जनों को सूली पर चढ़ जाने दो
जो एक स्वस्थ समाज की स्थापना की , परम्परा का आधार बन सके
दिलों में संस्कार की ज्योति प्रज्जवलित हो जाने दो
जो आने वाली पीढ़ी को स्वस्थ समाज की परम्परा को आगे ले जाने में उनकी सहायक हो सके
आतंक के ठेकेदारों को , सर्जिकल स्ट्राइक का शिकार हो जाने दो
जो आतंक का पर्याय हो रहे चरित्रों को सबक दे सके
सामाजिक बुराइयों के प्रतीक , रावण को जल जाने दो
जो सुसंस्कृत एवं सुसंस्कृत समाज एवं राष्ट्र की स्थापना का उद्देश्य हो सके
दिलों में राष्ट्रीय एकता की भावना का बिगुल बज जाने दो
जो सीमा के दुश्मनों के लिए एक सीख हो सके, उनकी दुर्भावनाओं पर अंकुश लगा सके
मानव जगत को संस्कृति एवं संस्कारों की धरोहर हो जाने दो
जो इस जमीं पर जन्नत का एहसास करा सके , दिलों में मुहब्बत का आगाज कर सके
समय को परिवर्तित हो जाने दो
जो हमें कलियुग के दलदल से , बाहर ला सके