उसे मैं भूल जाऊंगा, ये मैं होने नहीं दूंगा।
ग़ज़ल
1222/1222/1222/1222
उसे मैं भूल जाऊंगा, ये मैं होने नहीं दूंगा।
वो मुझको भूल जाएगा, ये मैं होने नहीं दूंगा।1
तेरा ही हम सफ़र बनकर, मुझे मंजिल को पाना है।
तू मंज़िल भूलकर बैठा, ये मैं होनें नहीं दूंगा।2
हमें वो दोस्त कहता है, हमीं पर वार करता है ।
पड़ोसी जैसा है अच्छा, ये मैं होने नहीं दूंगा।3
सभी कदमों तले उसके, चलेगी उसकी मन मर्जी,
नशा उस पर है सत्ता का, ये मैं होने नहीं दूंगा।4
वो जिसके प्यार में प्रेमी, हुए थे एक दिन पागल,
करेगा एक दिन धोखा, ये मैं होने नहीं दूंगा।
……….✍️ सत्य कुमार प्रेमी