उसे भी दिल दुखाने दीजिए
तोड़कर अरमान दिल के यूँ न जाने दीजिए
हक उसे भी है उसे भी दिल दुखाने दीजिए
कैद करिए खूब सूरज को तिजोरी में मगर
झोपड़ी में जुगनू को तो जगमगाने दीजिए
हार भी उसके गले में डाल दूँगा एक दिन
पहले उस मगरूर को सर तो झुकाने दीजिए
तोड़ दूँगा दोस्ती भी मैं मगर ठहरो जरा
दिल में थोड़ा दुश्मनी को सिर उठाने दीजिए
रोज यूँ हमको परीशां कीजिए मत इस कदर
दुश्मन हैं हम तो क्या हमें भी मुस्कुराने दीजिए
इतनी भी जल्दी पड़ी है क्या गले कैसे मिलूँ
विश्वास जम जायेगा पहले आजमाने दीजिए
जलजला इक दिन यकीनन देख लेंगे आप भी
उसके लब पर बस हमारा नाम आने दीजिए