उसने कहा, “क्या हुआ हम दूर हैं तो,?
उसने कहा, “क्या हुआ हम दूर हैं तो,?
प्यार तो हमेशा ही है।
मैंने हंसकर कहा, “वाह,
तेरी बातें तो फिल्मों जैसी हैं।”
अगर प्यार इतना ही सच्चा है,
तो न मैं फोन करती, न मैसेज करती।
बस दूर बैठकर ही तेरी यादों में जीती,
और चुपचाप, तुझे अपनी तकदीर समझती।
उसने फिर भी हंसकर कहा, पगली,
क्या तू मुझे याद नहीं करती?
मैंने चुटकी ली, याद? वो किस चिड़िया का नाम है?
तूने ही कहा था, “मैं हमेशा तेरे साथ हूँ। ”
अब जो साथ है, उसे याद कैसे करूंगी,
या शायद तेरे साथ होने का भ्रम पाल लूंगी?
आखिर, दूरियों में भी तो,
प्यार का दिखावा करना एक कला है।
उसने बड़ी मासूमियत से कहा,
तू समझती नहीं, ये सब तो बस बातें हैं,
असल में, दिल के रिश्ते में ही बात है।
मैंने कहा, हाँ, समझ गई।
दूर रहकर भी, तू वही फिल्मी डायलॉग बोलता है,
और मैं तेरे झूठे ख्यालों में फंसती हूँ,
तू पास हो या दूर,
तेरी बातों से ही बस मैं बहलती हूँ।