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3 Sep 2024 · 1 min read

*मनः संवाद—-*

मनः संवाद—-
03/09/2024

मन दण्डक — नव प्रस्तारित मात्रिक (38 मात्रा)
यति– (14,13,11) पदांत– Sl

प्रतिभाओं की कुंजी हो, लाखों तुमसे सीखते, वृहद प्रेरणा पुंज।
कविकुल के चित में रहते, उपमाओं में अग्रणी, कहते हैं कवि मुंज।।
स्वर सप्तक में खेल रही, सधे कंठ की साधना, भौरे की प्रिय गुंज।
है रसिका रसकेलि प्रिये, प्रियवर की रसनोपमा, कविताओं की कुंज।।

हे जीवन रस तरंगिणी, तुम ननकी संजीवनी, महाकाव्य की पात्र।
छंदों का सौंदर्य तुम्हीं, विविध विधा की चेतना, सार सृजन इतिमात्र।।
अनुष्ठान अनुरागी मन, याज्ञिक हो सोचता, तुम सार्थक अतिरात्र।
मदिर नयन की मादकता, मन मदिरालय कर लिया, मुदित अनुन्नतगात्र।।

— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य, (बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)

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