उसके नाम के 4 हर्फ़ मेरे नाम में भी आती है
चेहरे पर जैसे एक खुशी आती है,
उसके नाम के 4 हर्फ मेरे नाम में आती है।
इश्क का बुखार इस कदर चढ़ा है सिर पर
न तबियत बिगड़ती है ना बुखार आती है।।
और संभालूं कैसे खुद को मैं अब,
कोई शक्श मुझे अब संभाल रहा है।
मेरी बातें शुरू उसी से खतम उसी से
कोई है जिसका नाम जुबान पर बार बार आ रहा है।।
उसे इश्क लिखूं या दोस्ती करार दूं,
उससे नफरत करूं या उसे बुशुमार प्यार दूं।
कोई बताओ मेरा दिल अब कुछ सोचने से डर रहा है।
एक शक्श है जो हर शाम की तरह मुझमें ढल रहा है।।
और बिगड़ गई बात तो क्या करेगी मधुयंका
इजहार करने को कब से ये दिल तड़प रहा है।
अब किस किस को बताऊं कि वो शक्श कौन है
कौन है जो इस दिल में उतर रहा है।।