Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 May 2023 · 1 min read

*जिंदगी-भर फिर न यह, अनमोल पूँजी पाएँगे【 गीतिका】*

जिंदगी-भर फिर न यह, अनमोल पूँजी पाएँगे【 गीतिका】
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
(1)
जिस दिवस आत्मीय-जन, हमसे विदा हो जाएँगे
जिंदगी-भर फिर न यह, अनमोल पूँजी पाएँगे
(2)
कौंध जाएँगी मधुर, यादें विगत की जब कभी
याद करके रोज, रोएँगे कभी मुस्काएँगे
(3)
पाणिग्रहण छूटा अगर तो, फिर कहाँ किसको मिला
साथ के बिछड़े हुए, क्षण नित्य ही तड़पाएँगे
(4)
घूमने जैसे चले आए कहीं पर पर्यटक
चार दिन सामान यों, अपना समस्त टिकाएँगे
(5)
पढ़ लिया है फैसला, सब ने अदालत का मगर
अपने नफे-नुकसान से, मतलब समस्त लगाऍंगे
————————————————–
रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

191 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
(हमसफरी की तफरी)
(हमसफरी की तफरी)
Sangeeta Beniwal
*रिश्ते भैया दूज के, सबसे अधिक पवित्र (कुंडलिया)*
*रिश्ते भैया दूज के, सबसे अधिक पवित्र (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
वक्त से वकालत तक
वक्त से वकालत तक
Vishal babu (vishu)
खुद को परोस कर..मैं खुद को खा गया
खुद को परोस कर..मैं खुद को खा गया
सिद्धार्थ गोरखपुरी
💐प्रेम कौतुक-224💐
💐प्रेम कौतुक-224💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
विचार , हिंदी शायरी
विचार , हिंदी शायरी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
ना मानी हार
ना मानी हार
Dr. Meenakshi Sharma
" यादों की शमा"
Pushpraj Anant
मन हमेशा इसी बात से परेशान रहा,
मन हमेशा इसी बात से परेशान रहा,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
कछुआ और खरगोश
कछुआ और खरगोश
Dr. Pradeep Kumar Sharma
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - १०)
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - १०)
Kanchan Khanna
"पहचान"
Dr. Kishan tandon kranti
राना दोहावली- तुलसी
राना दोहावली- तुलसी
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
भूमि भव्य यह भारत है!
भूमि भव्य यह भारत है!
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
हर इंसान होशियार और समझदार है
हर इंसान होशियार और समझदार है
पूर्वार्थ
दीवारें खड़ी करना तो इस जहां में आसान है
दीवारें खड़ी करना तो इस जहां में आसान है
Charu Mitra
ग़ज़ल- तू फितरत ए शैतां से कुछ जुदा तो नहीं है- डॉ तबस्सुम जहां
ग़ज़ल- तू फितरत ए शैतां से कुछ जुदा तो नहीं है- डॉ तबस्सुम जहां
Dr Tabassum Jahan
इरशा
इरशा
ओंकार मिश्र
एक और इंकलाब
एक और इंकलाब
Shekhar Chandra Mitra
जन्मदिन मुबारक तुम्हें लाड़ली
जन्मदिन मुबारक तुम्हें लाड़ली
gurudeenverma198
कब टूटा है
कब टूटा है
sushil sarna
14, मायका
14, मायका
Dr Shweta sood
महिलाएं जितना तेजी से रो सकती है उतना ही तेजी से अपने भावनाओ
महिलाएं जितना तेजी से रो सकती है उतना ही तेजी से अपने भावनाओ
Rj Anand Prajapati
आपका दु:ख किसी की
आपका दु:ख किसी की
Aarti sirsat
*होलिका दहन*
*होलिका दहन*
Rambali Mishra
यहां नसीब में रोटी कभी तो दाल नहीं।
यहां नसीब में रोटी कभी तो दाल नहीं।
सत्य कुमार प्रेमी
#लघुकथा-
#लघुकथा-
*Author प्रणय प्रभात*
दोस्ती
दोस्ती
Mukesh Kumar Sonkar
-अपनी कैसे चलातें
-अपनी कैसे चलातें
Seema gupta,Alwar
कुछ ख्वाब
कुछ ख्वाब
Rashmi Ratn
Loading...