उसकी फितरत ही दगा देने की थी।
*उसकी फितरत ही दगा देने की थी।
और मीठा बनने का गजब हुनर उसे आता है ।
मैं कोशिश उससे दूर रहने की करता हूँ ।
कमजर्फ़ जान बूझ कर पास आता है ।
उसने कीमत लगाई मेरी दो कौड़ी की।
मुझे वो खुद पूरा कंगाल नजर आता है ।*
*उसकी फितरत ही दगा देने की थी।
और मीठा बनने का गजब हुनर उसे आता है ।
मैं कोशिश उससे दूर रहने की करता हूँ ।
कमजर्फ़ जान बूझ कर पास आता है ।
उसने कीमत लगाई मेरी दो कौड़ी की।
मुझे वो खुद पूरा कंगाल नजर आता है ।*