उसकी आँखों के दर्द ने मुझे, अपने अतीत का अक्स दिखाया है।
इस एहसास ने अरसे बाद मुझको रुलाया है,
कि तेरी यादों के सिवा, कुछ और भी ज़हन में आया है।
उसकी आँखों के दर्द ने मुझे, अपने अतीत का अक्स दिखाया है,
जाने क्यों मेरी रूह ने, उससे खुद को जुड़ा पाया है।
अंधेरों ने उसकी राह को भी, कुछ ऐसा भरमाया है,
की नफरत की गहरी खाई में, उसने खुद का अस्तित्व गंवाया है।
जिसने कसम ली थी, की करेगा हिफ़ाजत सबकी,
एक पल लिए, वो खुद की हिफ़ाजत भी ना कर पाया है।
बादलों ने भी सोच की जमीं को, बंज़र का नज़ारा दिखाया है,
पर विस्मृत कर गया की, जिसने जन्म दिया उसने भी तो, कुछ सोच कर हमें बनाया है।
रौशनी की तलाश में वो, मुझसे यूँ हीं नहीं टकराया है,
चिराग जलाने की कोशिश में, उसने भी तो कई बार खुद को जलाया है।
कोशिशों में थी सच्चाई उसके, तो हौसलों ने भी बखूबी उसका साथ निभाया है,
अंधेरों को पीछे छोड़ अपनी रौशनी से, वो नया सवेरा साथ लाया है।
उसकी खोई हंसी ने फिर से, उसके होठों का ठिकाना पाया है,
और वैराग की राह में भटकते मेरे क़दमों ने, नयी मंज़िलों की तरफ खुद को बढ़ता पाया है।