उसका नाम
उसके नाम से लिपटा एक एक अक्षर मुझे उतना ही प्यारा है
जितना सदियों से जागी आंखों को नींद,
रेगिस्तान में भटकते राही को पानी,
चातक को बारिश की पहली बूंद और हां…
अजनमे बच्चे को मां का गर्भ…
उसके नाम में खुद के न मिलने की तमाम संभावना को
धत्ता बताते हुए खुद को ढूंढ़ते रहना,
बहुत प्रिय लगता है मुझे
पर क्यूं… पता नहीं
~ सिद्धार्थ