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18 Dec 2024 · 1 min read

*उर्दू से मित्रता बंधुओं, अपनी बहुत पुरानी है (हिंदी गजल)*

उर्दू से मित्रता बंधुओं, अपनी बहुत पुरानी है (हिंदी गजल)
_________________________
1)
सबने सदुपदेश सबसे ही, यों तो सुना जुबानी है
लेकिन कब सलाह कुछ अच्छी, किसने किसकी मानी है
2)
बरसों संग-साथ रहकर भी, कुछ अनजाने ही रहते
लगती प्रथम बार में कोई, छवि जानी-पहचानी है
3)
पैदा हुए और फिर बॅंधकर, अर्थी में शमशान गए
सब का जीवन इसी बीच की, केवल राम-कहानी है
4)
जिस ने दान दिया फिर मुड़कर, पीछे कभी नहीं देखा
जिसने छुआ नहीं किंचित भी, धन को वह ही दानी है
5)
स्वाभिमान तो अच्छा ही है, निज गरिमा का ध्यान रखो
मगर सुनिश्चित उसे डूबना, जो जग में अभिमानी है
6)
नुक्ते नहीं लगाना हमको, फिर भी गजल लिखेंगे हम
उर्दू से मित्रता बंधुओं, अपनी बहुत पुरानी है
—————————-
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश मोबाइल 9997615451

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