उम्र के हर पड़ाव पर
उम्र के हर पड़ाव पर,मेरा ख्याल कीजियेगा।
गिला शिकवा हो ग़र,खुद से सवाल कीजियेगा
ताज मेरे लिए बनवा न पाओ,तो ग़म नहीं
चाहत हो गहरी ,बस इतना कमाल कीजियेगा
साथ हमसफ़र रहो ,तो जन्नत है ये जिंदगी
थिरकते रहे पांव बस ,ऐसी धमाल कीजियेगा।
कहीं परिंदों की तरह , उड़ न जाना छोड़ कर
बेवफाई की छुरी से न ,कभी हलाल कीजियेगा
साथ तेरा मयस्सर हो ,तो ग़म नहीं है कोई
राह में छोड़ कर न जिंदगी पामाल कीजियेगा
सुरिंदर कौर