उम्मीद पर है जिन्दगी
उम्मीद पर ही जिन्दगी
हर पल टिका है
सुख और दुख
जीवन के दो पहिए है
इसी पर पूरा जीवन चला है,
यह खुशी और गम
के इन किस्तों में ही
तो जीवन का
हर राज छुपा है।
जो डर गया संघर्ष से
वह पहले ही
मर गया समझो
जो संघर्ष कर
जीत की सफलता पाया है
वही तो इस जीवन को
सही मायने मे जी पाया है।
जो आसमान की ऊंचाई देख
पहले – पीछे भाग गया
वह कहाँ आसमान का
छू पाया है
जिसने गिरने का डर न रख
आसमान की तरफ क़दम बढ़ाया
उसने ही तो साहस के बल
आसमान नापकर आया है।
जो वक्त के साथ न चला
जो वक्त से है डर गया
उसने अपने जीवन में
कहाँ कुछ पाया है
जिसने हिम्मत कर वक्त को
अपने मुताबिक बदल लिया
उसने ही तो वक्त रहते
मंजिल को पाया है
जिसने छोटी-मोटी घाव को
पकड़कर रोते रहा है
वह जीवन में कहाँ खुश हो पाया है
जिसने चोट का कोई
परवाह न किया है
उसने ही तो अपने दामन में
ढेर सारी खुशियाँ बटोरा है।
सब कुछ खोने के बाद भी
जिसने उम्मीद नही छोड़ा
उसने ही तो इतिहास
लिख पाया है
गुमनामी के अँधेरे में भी
अपना नाम दर्ज कराया है
हाथ पर हाथ रखकर
किसने सफलता पाया है।
~ अनामिका