उम्मीद ए चिराग…
व्यक्तित्व मुखर जब
मौन हो जाए,
कृतित्व स्पंदन जब
शिथिल हो जाए,
द्रवित नयन व्यथित
मन जब हो जाए ,
“आस” का दीपक भी ,
जब विचलित हो जाए ,,
झंझावतो का दावानल
चाहे धधकने लगे
“आशा” तुम आना द्वार मेरे..
“उम्मीद ए चिराग “हूं …तुम्हे
सदा रोशन ही मिलूंगी ..
✍🏻 अंजू पांडेय अश्रु रायपुर