उपेक्षा
उसके गली में घुसते ही
गली में पड़ा कुत्ता
कान खड़े कर हुआ चौकन्ना
देख कर आने वाला नहीं है अजनबी
फिर सो गया।
किसी के घर के बरामदे में ऊँघता चौकीदार
कुहनियों पर हुआ उठंग
होकर निश्चिन्त आने वाला नहीं है कोई अवांछित
जैसा था उसी हालत में
पुनः हो गया।
दरबाजा खुलने की आवाज से
पत्नी कुनमुनाई
कुछ बुदबुदाई
मुँह फेर कर सो गई उसी के होने का
उसे इत्मीनान होगया।
अपनी उपेक्षा से दुखी
देख कर स्टूल पर ढकी रोटियाँ रखी
क्रोध में भुनभुनाया
चारपाई पर औंधे मुँह गिर कर
बिना खाये ही सो गया।
जयन्ती प्रसाद शर्मा