उनमें कोई तो बात है
उनमें तो कोई बात है
उसकी हस्ती में कुछ देखा है
इसलिए तो कुछ लिखा है
जरूर मेरे भाव के द्वार खोले
जरुर उनमें कोई तो बात है
।
मेरी अनगिनत भावनाए भटकती
वो आकर एक सुंदर पंक्ति कहती
मेरे दिल के द्वार हताश से खोले
जरूर उनमें कोई तो बात है ।
जब मैं उनकी भोली सूरत देखता
तो एक सुंदर सा समुंदर उसकी
नयनो में बहता हुआ नजर आता
जरूर उनमें कोई तो बात है ।
उसके झुल्फे जब बिखरते देखता
हूँ तो एक बादल ठहरते उदासी
जैसे सुबह उठे ही ले ली उबासी
जरूर उनमें कोई तो बात है ।
उसकी नखराली हरकते कुछ
मुझे बता जाती ,डगर डगर में
भीनी भीनी खुशबू नगर नगर में
जरूर उनमें कोई तो बात है ।
यादो के लम्हे का यह कठोरा
बाग में फूलों का यह सबेरा
मेरे मन को झकझोर देता
जरूर उनमें कोई तो बात है ।
कुछ चित्रण कुछ भाव पहाड़ों से
उतर आते ,कुछ रस भरे गुनगुनाते
प्रवीण यह तो कलम को बहलाते
जरूर उनमें कोई तो बात है
✍प्रवीण शर्मा ताल
स्वरचित मौलिक रचना