उनकी तस्वीर
मैं मकान छोड़ आई हूँ अपना, उनकी तस्वीर अब वहाँ तन्हा हो गई है,
जिसे हमेशा सीने से लगा कर रखा था, अब वो मुझसे जुदा हो गई है।
नए लोग आएंगे और उसे हटा देंगे,
पैरो के नीचे कुचलकर उनकी तस्वीर दबा देंगे,
ना जाने कौन से सागर में उसे बहा देंगे,
या किसी खजाने में उसे छिपा देंगे,
ना जाने मैंने ऐसा क्या बुरा किया, जो मेरे लिए मकान को चुराना बद्दुआ हो गई है,
मैं मकान छोड़ आई हूँ अपना, उनकी तस्वीर अब वहाँ तन्हा हो गई है।
एक तस्वीर ही थी जो रखी थी मैंने उनकी याद में,
टूट ना जाए तस्वीर, यहीं खुदा से मांगती थी फरियाद में,
उनका प्यार तो ना मिला पर उनकी तस्वीर मिली थी सौगात में,
पर उनकी तस्वीर भी मेरी ना हो सकी ये एहसास हुआ मुझे बाद में,
मैं सोचती हूँ कि वो मकान में फिर से जाऊ, पर वो मकान भी अब मुझसे रुसवा हो गई है,
मैं मकान छोड़ आई हूँ अपना, उनकी तस्वीर अब वहाँ तन्हा हो गई है।