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28 May 2023 · 1 min read

उधेड़बुन

उधेड़बुन
~~°~~°~~°
मन ख्वाबों में,
सपने सजोता रहा,
तन सोता रहा…
दिल अठखेलियों में मग्न है,
देखकर वो अल्हड़पन और नादानियां,
चांद बादलों की ओट में छिप गया,
मैं तकता रहा…
बदला नहीं कुछ भी जमीं पे,
थोड़ा कशमकश फिर खामोशियां,
जो ताउम्र मैं सुनता रहा…
उधेड़बुन हर मोड़ पर,
मन कहता रहा,
तन सोता रहा…

मौलिक और स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि – १४/०५ /२०२३
ज्येष्ठ , कृष्ण पक्ष , दशमी ,रविवार
विक्रम संवत २०८०
मोबाइल न. – 8757227201
ई-मेल – mk65ktr@gmail.com

Language: Hindi
2 Likes · 262 Views
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