मेरा चुप रहना मेरे जेहन मै क्या बैठ गया
मेरा चुप रहना मेरे जेहन मै क्या बैठ गया
इतनी आवाजे तुझे दी की गला बैठ जाए
यू नही है फकत मै ही उसे चाहता हु
जो भी उस पेड़ की छाव मै गया बैठ जाए
उसकी मर्जी जिसे वो पास बिठा ले अपने
इसमें क्या लड़ना फना मेरी जगह बैठ गया