उदास हूं मैं आज।
उदास हूं मैं आज, मेरा कोई नहीं
जग में था जो उसे कोई और ले गया
खो गया मेरा सब कुछ
जब उसने पूछा कोन हो तुम ….?
मेरा जवाब मेरी आखों में था
जो उसने कभी देखा नहीं
मैंने देखा उसकी आखों में मै खो गया
सो गया मेरा सब कुछ किसी गैर के साथ
जो मेरा था बस मेरा ।
खुदा को मंजूर था वो हो गया
मेरा दिल तोडा और छोड़ दिया
मोड़ दिया मेरा जो भी प्यार था और
बस उमर का भर का गम दिया
कम दिया जो मैने मांगा था
बाकी सब कुछ छीन लिया जो मेरा था ।
माथे पर उसके शहरा था
चारो तरफ महफिल का पहरा था
हम देख कर भी नही देख सके
हुसन के पूछे मतलबी चहरा था ।
जब तक जेब में पैसो की गर्मी थी
जब तक बेगम के लहज़े में नर्मी थी
जब तक हम धन लुटाते रहें
तब तक इश्क के नजराने वोह दिखाते रहें।
लेखक सोनित प्रजापति