उदास नहीं हैं Ghazal By Vinit Singh
आँखों पर अपनी हमको विश्वास नहीं है
हम रो रहे होंगे लेकिन उदास नहीं हैं
हम नंगे हो गएँ अक्सर सामने उनके
रो कर जो कह दिएँ कि लिबास नहीं है
हमें देख कर रहे हैं वो तलवार अपनी तेज
आगे क्या हो हमको कोई आभास नहीं है
कंधे पे लाद कर हमें चल तो पड़े हैं आप
नींद में हैं आँखें बंद हम कोई लाश नहीं हैं
कमरे को कर दिया है हमने तहस नहस
जबकि किसी भी चीज की तलाश नहीं है
~विनीत सिंह
Vinit Singh Shayar/poet