उतना प्यार ना दें !
उतना प्यार ना दें !
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किसी को उतना प्यार ना दें….
कि वो सर पे ही चढ़ जाए !
फिर जब कोई बात कहें उसे….
तो सुन के भी ना सुन पाए…..
किसी को उतना प्यार ना दें….
प्यार जो ज़्यादा बढ़ जाता है !
अनुशासन थोड़ा घट जाता है !
डर से नाता सारा टूट जाता है !
काम को तब ठुकरा जाता है !!
किसी को उतना प्यार ना दें…..
प्यार तो है अनमोल सा बंधन !
होना चाहिए इसका सदैव ही वंदन !
पर हो जाए जब किसी बात पे क्रंदन !
मनमानी कर करे जब नियमों का उल्लंघन !
तो प्यार में ढ़िलाई में क्यों ना हो कोई चिंतन ??
किसी को उतना प्यार ना दें…..
प्यार की भाषा जब कोई सुन ना पाए !
बातों की अवहेलना कर-करके मुस्काए !
प्यार जब किसी की कमजोरी बन जाए !
प्यार में जब किसी की जान पे पड़ जाए !
तो प्यार पे क्यों ना कोई पाबंदी लगाए ??
किसी को उतना प्यार ना दें…..
प्यार ऐसा हो, किसी को दु:ख ना पहुंचाए !
प्यार की ताकत से अपनों का दिल जीत जाए !
प्यार में डूबकर दुनिया के सारे ग़म भूल जाए !!
पर परिस्थितिवश कोई नाजायज फायदा ना उठाए !
अत: प्यार उतना ना दें जो ग़म का ही कारण बन जाए !!
__ स्वरचित एवं मौलिक ।
© अजित कुमार कर्ण ।
__ किशनगंज ( बिहार )