उड़ान
मन कुछ व्याकुल सा है
न जाने चाहता क्या है
रोशनी कर चरागों से तू
तिमिर में भटकता क्यों है
अपने हौसलों से छू सकता है आसमान
फिर ज़माने को उड़ान दिखाता क्यों न है।।
थाह मिल जाए समुंद्र को ,,ऎसा तो बस कहा जाता है
अगर जान हो इरादों में
तो गागर में भी सागर भरा जाता है
✍️✍️रश्मि गुप्ता @ Ray’s Gupta