उड़ने दो
उड़ने दो इन पंखों को,
जो लोग कतरना चाहते हैं।
उड़ने दो इन पंखों को,
जो ऊंची उड़ान भरना चाहते हैं ।
उड़ने दो इन पंखों को ,
जो तुम्हें मान सम्मान दिलाते हैं।
उड़ने दो इन पंखों को ,
जो बाधाओं को पार कराते हैं।
उड़ने दो इन पंखों को,
जो कभी रुकना नहीं चाहते हैं।
कभी रुकना नहीं,
क्योंकि एक बार अगर रुक गए तो ठहर जाओगे वही।
इसीलिए आसमान की ऊंचाई में विचरण करते रहो,
और भी उड़ान भरने की हमेशा चाहत हो ऐसा काम करो।
पंखों को उड़ने दो क्योंकि यह ईश्वर का दान है,
यही है तुम्हारा जीवन का आधार और यही आत्मसम्मान है।
उत्तीर्णा धर