उजला तिमिर
हर दरवाज़े संघर्ष खड़ा है
साँस- साँस में गर्व भरा है
ज्वलन्त निशा में रचा दिवस
श्रम से चारों ओर घिरा है
ताप हरता हाथ का साथ
एकाकी जीवन मार्ग बुरा है
प्रवाह की भाषा का जो ज्ञानी
ठोकर खा कर नहीं गिरा है
जो जलराशि नैनों से बरसे
अर्थ मर्म का इससे जुड़ा है
हरियाली दूब पर नंगे पांव
पल राहत का एक बड़ा है ।