उगता सूरज
उगता सूरज
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रोज सबेरे सूरज उगता,
करता अंधकार को दूर।
सूरज निकले नीलगगन में,
फैलाए उजियारा भरपूर।।
कलियां -कलियां डोलती,
हवा सुहानी चल रही।
धरा हो गई पीतांबरी,
ओस की बूंदें चमक रही।।
नवजीवन पौधों को मिलता,
धरती को मिलती हरियाली।
कुसुम -कलिका खिलाकर,
महकाते हैं डाली -डाली।।
सूरज देख चांद आसमां में छुप जाता।
अंधेरा हो जाने पर, चांद गगन में आ जाता।।
सूरज के जीवन से सीखो,
जीना स्वाभिमान के साथ।
अपनी एक पहचान बनाओ,
जग में जियो सम्मान के साथ।।
सूरज सारे जग को उजियारा देता।
कण-कण के तम को हर लेता।।
रोज सबेरे सूरज उगता —-
करता अंधकार को दूर —–
सुषमा सिंह*उर्मि,,