ईश्वर की परछाई
बच्चे होते इरादेवान
इनका मन होता पाक
जैसे परिक्षेत्र में रहते
ये बालसुलभ से बच्चे
बड़े होने पर वो वैसे ही
स्वाभाविक बन जाते हैं
वत्स को उत्तम परिधि में
रखना एवं उत्तम वार्ता ही
सतत सिखलानी चाहिए
जो देखते, सीखते हैं वो
जैसे परिवेश में रहते यह
वैसा उनका बनना तय है ।
बच्चे होते प्यारे, न्यारे
उनका यह मृदुल हृदय
होता वृहत ही ब- पवित्र
उनकी बोली हुई वाणी में
होती कितनी है मिठास ?
ये प्रसव, फलप्रद तो होते
ईश्वर की परछाई भव में
कहा जाता कई मनुष्यों
पंडितों के द्वारा अर्भों मे
करता ईश्वर पद, निषेवण
जैसा मोहौल में पलते ये
वैसा ही आकर पाते यह ।
अमरेश कुमार वर्मा
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय, बिहार