ईश्वर अल्लाह गाड गुरु, अपने अपने राम
प्रिय पाठक जी आपको, सादर मेरा प्रणाम
“एक पते की बात” है, प्रिय बंधु आपके नाम
निर्गुण सगुण रूप में, भगवान के हैं कई नाम
ईश्वर अल्लाह गाड गुरु, अपने अपने राम
फिर ईश्वर के नाम पर, लड़ने का क्या काम?
मानवता के लिए समर्पित,”एक पते की बात”
नाम रूप गुण एक हैं, एक मानस की जात
कौन नास्तिक कौन है काफिर,पूछ रहे जज़्बात
धर्म के नाम क्यों हो रहा,मानव पर आघात?
हिंसा से हिंसा बढ़े,सौ की सीधी बात !!!
विश्व शांति कल्याण को , “एक पते की बात”
सब मिल कीजे प्रार्थना,उर धर इष्ट का ध्यान
धरा बने आतंक मुक्त, प्रभु ऐसा दो वरदान
सत्य प्रेम करूणा बढ़े, और बढ़ें सत काम
सारे जग में अमन चैन की,दुआ करें श्रीमान
“एक पते की बात है”मानव मानवता के नाम।