Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Oct 2021 · 2 min read

इस्तीफा

—————-
आज मैं खुश
भीड़ का अगुआ था
जलाई बसें–
ताकत दिखाई।
गालियाँ बकी–
भाषण सीखा।
देखा
हाथ जोड़ मनाती पुलिस
जाना विरोध की ताकत।
राजधानी से फोन आया
मिजाज पूछा
शाबासी दी
सत्ता के रास्ते की
गंध मिली‚
झलक दिखी।
आज मैं खुश।

धरना के दौरान
धरे गये
कारागार गये
मुलाकात हुई
माफिया था
दोस्ती गाँठा
बाहर आये
दलाल हुए
आश्वासन मिला
सम्पर्क साधा
आश्चर्य में खुली रह गयी आँखें
हरी झंडी मिली
नेता हो गया
चाहे छुटभैय्या।
बड़ा होना तो छोटे से होता है शुरू।
अब ताकत थी–
भीड़ जुटाया
हंगामा करवाया
बड़े नेता जी ने पीठ थपथपाई।
कारागर की दोस्ती परवान चढ़ी।
जमानत का बन्दोबस्त हो गया।
बड़े नेता जी के चुनाव में झंडा उठाया।
खरीद फरोख्त करके मत डलवाया
जमानती श्ख्स से
पटाखे फोड़वाया।
नेता जी के जीतने का श्रेय
मुझे भी मिला।
राजनैतिक हलके में पहचान मिली
कितनी सारी पार्टियाँ
लालायित हुईं मेरे लिए
टिकट की बाढ लगी।
मैं राजनेता हो गया।
मेरा प्रश्न –
क्या मेरे पास राजनेता होने की
कोई योग्यता थी
मैं जानता हूँ‚नहीं थी।
न होगी कभी।
और इस देश का भविष्य बचाने के लिए
अतः मैंने इस्तीफा दे दिया।

और मैं जहाँ से आया
वहाँ मजबूरी थी
उससे ज्यादा हताशा
जैसे खत्म उम्मीदें।
मेरे साथ लोभ था‚
लालच और लिप्सा
और मेरी महत्वाकांछाएँ
मैं हो गया उनका पूजनीय
किन्तु मैं उन्हें पूज्य नहीं
सकता था बना
क्योंकि इसके लिए
सिर्फ संरक्षण ही नहीं
संरक्षण से बड़ा
चाहिए था संघर्ष।
अब मैं उस संघर्ष के दलदल से
निकल आया था बाहर
बदल गयी थी मेरी दिशा व दशा।
मैं खुद अपने सामने
प्रश्न सा खड़ा गया हो।
मुझे मजा आने लग गया
खुद की हैसियत बढ़ाने में।
मैं मेरा संर्घष ही भूलने लगा।
होने लगी मुझे ग्लानि
उस संर्घष को
बचाना मेरा कत्र्तव्य था
और
इस देश का भविष्य बचाना
मेरा धर्म
उस संर्घष को बचाने के लिए
अतः मैंने इस्तीफा दे दिया।
—————————–
अरूण कुमार प्रसाद‚पडोली

Language: Hindi
233 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मैं तो महज इंसान हूँ
मैं तो महज इंसान हूँ
VINOD CHAUHAN
ये एहतराम था मेरा कि उसकी महफ़िल में
ये एहतराम था मेरा कि उसकी महफ़िल में
Shweta Soni
पापा जी
पापा जी
नाथ सोनांचली
दरकती ज़मीं
दरकती ज़मीं
Namita Gupta
यह तो हम है जो कि, तारीफ तुम्हारी करते हैं
यह तो हम है जो कि, तारीफ तुम्हारी करते हैं
gurudeenverma198
वो मिलकर मौहब्बत में रंग ला रहें हैं ।
वो मिलकर मौहब्बत में रंग ला रहें हैं ।
Phool gufran
: काश कोई प्यार को समझ पाता
: काश कोई प्यार को समझ पाता
shabina. Naaz
प्रकृति (द्रुत विलम्बित छंद)
प्रकृति (द्रुत विलम्बित छंद)
Vijay kumar Pandey
बसुधा ने तिरंगा फहराया ।
बसुधा ने तिरंगा फहराया ।
Kuldeep mishra (KD)
शेष न बचा
शेष न बचा
इंजी. संजय श्रीवास्तव
Tuning fork's vibration is a perfect monotone right?
Tuning fork's vibration is a perfect monotone right?
Sukoon
कौन्तय
कौन्तय
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
*पहचान* – अहोभाग्य
*पहचान* – अहोभाग्य
DR ARUN KUMAR SHASTRI
Red is red
Red is red
Dr. Vaishali Verma
हिंदी में सबसे बड़ा , बिंदी का है खेल (कुंडलिया)
हिंदी में सबसे बड़ा , बिंदी का है खेल (कुंडलिया)
Ravi Prakash
गलत चुनाव से
गलत चुनाव से
Dr Manju Saini
शीर्षक - सोच और उम्र
शीर्षक - सोच और उम्र
Neeraj Agarwal
एक दिवाली ऐसी भी।
एक दिवाली ऐसी भी।
Manisha Manjari
3142.*पूर्णिका*
3142.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"सुर्खी में आने और
*प्रणय प्रभात*
अर्कान - फाइलातुन फ़इलातुन फैलुन / फ़अलुन बह्र - रमल मुसद्दस मख़्बून महज़ूफ़ो मक़़्तअ
अर्कान - फाइलातुन फ़इलातुन फैलुन / फ़अलुन बह्र - रमल मुसद्दस मख़्बून महज़ूफ़ो मक़़्तअ
Neelam Sharma
मेरे हिस्से में जितनी वफ़ा थी, मैंने लूटा दिया,
मेरे हिस्से में जितनी वफ़ा थी, मैंने लूटा दिया,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
शिछा-दोष
शिछा-दोष
Bodhisatva kastooriya
हर दिन माँ के लिए
हर दिन माँ के लिए
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
दिल में मेरे
दिल में मेरे
हिमांशु Kulshrestha
विवाह रचाने वाले बंदर / MUSAFIR BAITHA
विवाह रचाने वाले बंदर / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
भावात्मक
भावात्मक
Surya Barman
"फर्क"
Dr. Kishan tandon kranti
सिर्फ दरवाजे पे शुभ लाभ,
सिर्फ दरवाजे पे शुभ लाभ,
नेताम आर सी
हरियाणा दिवस की बधाई
हरियाणा दिवस की बधाई
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
Loading...