इश्क़ मे कौन
मेरे नाम से नाम,मिलाता है कौन
मैं तो बदनाम हूँ ,मुझसे आंखें मिलाता है कौन
ना इस और है ,ना उस और कोई
आखिर मुझसे वादा कर जाता है कौन
जब जिक्र ही नहीं मेरी बातों का,
तो तुम्हारी आंखों मैं कटक जाता है कौन
और अफवाहो पे मेरी, मुझे सजा दो
ये उसने कहा,ये आ जाता हे कौन
सोने से हुआ हो या मिट्टी से हुआ तुम्हें इश्क़
में तो इंसान था ये सोना माटी बना जाता है कौन
दिल तेरा तू रख या फ़ेक दे
पर ये दिल पे तेरे ताले लगा जाता हे कौन
मेरे चेहरे को नक़ाब बताने वाले
उसको मेरा चेहरा दिखता हे कौन
यू बात करते करते पलट देते हो
ये राज़ छुपाना तुम्हे सिखाता हे कौन
यु मेरे होने से पहले मुझको ही बदल देते हो
तेरे दिल में तेरे हर्ष को लाता जाता है कौन