इश्क़ में क्या रक्खा है…?
इश्क़ क्या है…?
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ये न पूँछो कि …
इश्क़ क्या है…?
और…
इश्क़ में क्या रक्खा है…?
1)-
बेवज़ह लोग डरते हैं…
इश्क़ से यारो…
इश्क़ मूरत है ख़ुदा की…
इबादत है….
मोहब्बत है….
इस जहाँ को इश्क़ ने ही तो…
ज़नन्त बना रक्खा है…!
ये न पूँछो कि …
इश्क़ क्या है…?
और…
इश्क़ में क्या रक्खा है…?
2)-
इश्क़ ….
पिता का प्यार है….
माँ का दुलार है…
भाई बहन की फ़िकर है….
खुशी की बहार है….!
इश्क़ वो चन्दन है…
जिसने…
जीवन को महका रक्खा है…!
ये न पूँछो कि …
इश्क़ क्या है…?
और…
इश्क़ में क्या रक्खा है…?
3)-
इश्क़…
बच्चों की शरारत है….
बुजुर्गों की हिफाज़त है….
दोस्तों की जान है…
अपनों का मान है…!
इश्क़ वो कुटुम्ब है…
जिसने…
उम्मीद का मंज़र सजा रक्खा है…!
ये न पूँछो कि …
इश्क़ क्या है…?
और…
इश्क़ में क्या रक्खा है…?
4)-
इश्क़…
संसार है पिया का…
ज़िन्दजी का सार है….
मीरा का मोहन…
राधा का श्याम है….!
इश्क वो जादूगर है…
जिसने…
हर जीव को नचा रक्खा है…!
ये न पूँछो कि …
इश्क़ क्या है…?
और…
इश्क़ में क्या रक्खा है…?
5)-
इश्क़ वो रहमत है….
वो तोहफ़ा है…
जो हर किसी को नसीब नहीं होता….!
मिलता है…
सिर्फ किस्मत वालों को….
जिनके सर….
ख़ुदा का हाथ रक्खा है…!
ये न पूँछो कि …
इश्क़ क्या है…?
और…
इश्क़ में क्या रक्खा है…?
6)-
झलकता है…
वो इश्क़…
ज़माने के कण कण में….
जिस इश्क़ को हमने…
बसाया है…
अपने दिल मे…..!
उस इश्क़ ने..
हमें खुद में समा रक्खा है…!
ये न पूँछो कि …
इश्क़ क्या है…?
और…
इश्क़ में क्या रक्खा है…?
7)-
बरसता है नूर ….
कुदरत की फ़ज़ाओं से….
हर घड़ी मुझ पर….
खुश हूँ….
हर हाल में…..
जाम-ए-इश्क़…..
जो ख़ुदा ने पिला रक्खा है….!
ये न पूँछो कि …
इश्क़ क्या है…?
और…
इश्क़ में क्या रक्खा है…?
8)-
इश्क़ अक्स है…
इश्क ‘माही’ है…
इश्क ही मेरा ख़ुदा है…!
और—
इस इश्क ने ही..
मुझे अपना….
ख़ुदा बना रक्खा है….!
इश्क़ अनन्त है…
अनादि है…
इश्क़ वो शक्ति है….
वो मुरलिया है…
जिसने…
हम सबको लुभा रक्खा है….!
ये न पूँछो कि …
इश्क़ क्या है…?
और…
इश्क़ में क्या रक्खा है…?
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© डॉ० प्रतिभा ‘माही’