इश्क
ना जाने कैसे बात करते है,’ लोग’
यू ही इश्क का नाम बदनाम करते हैं ‘लोग’
जिसने इश्क किया नहीं वो भी अपने को
‘ बेवफा‘ समझते है लोग ।।
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इश्क के नाम पर ठग कर कहां जाओगे अब
दुनिया में प्यार की कमी है जब बहुत अब
फिर लौट के आना है तुम्हें कब यह सोचो लो अब
इश्क के नाम पर ठगने वालों की कमी है अब ।।
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ना जाने कैसा ख्वाब देख लिया टूटता ही नहीं है
सुबह तो हो गई उजियारा दिखता ही नहीं है
बेवफाई,जुदाई हरज़ाइ या और कुछ बोल लो
कुछ भी फर्क नहीं पड़ता मुझे
तेरे इश्क जो हम फ़िदा हो गए है ।।
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नज़्मी नहीं की तेरी हां हो
ना के साथ भी तेरे साथ हूँ
जब तक है सीने में दिल
तेरे हां का बस तेरा इन्तजार है।
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गौतम साव