इश्क में हमारे
इश्क में हमारे वो मुकाम आ गया
अपना कहा मगर उनका नाम आ गया
पीकर जिसे होश दुनिया की न रहे
जिन्दगी के हाथ में वो जाम आ गया
आँखों ने की खता और लब चुप रहे
बेगुनाह दिल पे फिर इल्जाम आ गया
रूठें तो मनाना,मान जाना रूठकर
दिलकश अदाओं का हुनर तमाम आ गया
दो जिस्म थे जो,एक जान होने लगे
रूह से मिली रूह तो आराम आ गया
हेमा तिवारी भट्ट