Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Mar 2022 · 1 min read

इश्क क्या बला होता है।

तुमको क्या पता ये इश्क क्या बला होता है।
आशिकों के लिऐ इतना जानो खुदा होता है।।

हाल सारे आशिको का सबसे जुदा होता है।
हमतो ना करेंगे इसमें हाल बहुत बुरा होता है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

214 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Taj Mohammad
View all

You may also like these posts

Ek gali sajaye baithe hai,
Ek gali sajaye baithe hai,
Sakshi Tripathi
नारी और वृक्ष
नारी और वृक्ष
ओनिका सेतिया 'अनु '
क्या पता...... ?
क्या पता...... ?
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
मेरी हर अध्याय तुमसे ही
मेरी हर अध्याय तुमसे ही
Krishna Manshi
त्रिलोकीनाथ
त्रिलोकीनाथ
D.N. Jha
तन्हा सी तितली।
तन्हा सी तितली।
Faiza Tasleem
ज़रा सी  बात में रिश्तों की डोरी  टूट कर बिखरी,
ज़रा सी बात में रिश्तों की डोरी टूट कर बिखरी,
Neelofar Khan
खेल
खेल
राकेश पाठक कठारा
ज़ख्म पर ज़ख्म अनगिनत दे गया
ज़ख्म पर ज़ख्म अनगिनत दे गया
Ramji Tiwari
मैं तुम और हम
मैं तुम और हम
Ashwani Kumar Jaiswal
भारत देश हमारा प्यारा ।
भारत देश हमारा प्यारा ।
Dr Archana Gupta
मुस्कुराता बहुत हूं।
मुस्कुराता बहुत हूं।
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
छोटी सी बात
छोटी सी बात
Shashi Mahajan
जाने क्यों तुमसे मिलकर भी
जाने क्यों तुमसे मिलकर भी
Sunil Suman
हमारी लता दीदी
हमारी लता दीदी
संजीवनी गुप्ता
Quote
Quote
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
"ममतामयी मिनीमाता"
Dr. Kishan tandon kranti
लहज़ा रख कर नर्म परिंदे..!!
लहज़ा रख कर नर्म परिंदे..!!
पंकज परिंदा
अमर काव्य
अमर काव्य
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
शीर्षक:-सुख तो बस हरजाई है।
शीर्षक:-सुख तो बस हरजाई है।
Pratibha Pandey
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
..
..
*प्रणय*
**कुछ तो कहो**
**कुछ तो कहो**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
ग्रीष्म ऋतु
ग्रीष्म ऋतु
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
बाल कविता : काले बादल
बाल कविता : काले बादल
Rajesh Kumar Arjun
*नेता जी के घर मिले, नोटों के अंबार (कुंडलिया)*
*नेता जी के घर मिले, नोटों के अंबार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
माँ
माँ
Karuna Bhalla
कुछ शब्द
कुछ शब्द
Vivek saswat Shukla
होती है
होती है
©️ दामिनी नारायण सिंह
"मुझे हक सही से जताना नहीं आता
पूर्वार्थ
Loading...